मास्टर जी एक होटल में ख़ाली कटोरी में रोटी डुबो-डुबो कर खा रहे थे।
वेटर ने पूछा:
मास्टरजी ख़ाली कटोरी में कैसे खा रहे हैं?
मास्टर जी:
भइया, हम गणित के अध्यापक हैं।
दाल हमने ‘मान ली’ है।
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एक बार प्राइमरी स्कूल में मास्टर जी गहरी नींद मे सो रहे थे
तभी कलेक्टर साहब आ गये
मास्टर जी पकडे गये
बहुत देर उठाने के बाद तब
मास्टर की नींद खुली और बोले
बच्चों कुंभकर्ण ऐसे सोता है
इसे कहते है गतिविधि आधारित शिक्षण…!
कलक्टर साहब सन्न….
मास्टर से बचकर रहना रे ….
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एक क्लास में एक लड़की को सब बुआ-बुआ कहते थे…..✔
एक दिन इस की शिकायत ऊसने अपने टीचर से कर दी……
टीचर ने सब लडको से पूछा ….
जो लड़के इस को बुआ कहते है वो सभी खडे हो जाए…….
एक लड़के को छोड के सभी खडे हो गये…..
टीचर ने पुछा……क्या तुम इस को बुआ नहीं कहते हो …
लड़का बोला…… सर मु तो फूफाजी हूँ……..
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छात्र से टीचर ने पूछा बताओ एक साल में कितनी रात्रि होती हे..
छात्र– 10 रात्रि
टीचर — 10 कैसे
छात्र- 9 नवरात्री ओर 1 शिवरात्रि.
टीचर अभी तक कोमा में हे।
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टीचर:
जिसको सुनाई नहीँ देता उसको क्या कहेँगे ?
शिष्य:
कुछ भी कह दो साले को!
कौनसा सुनाई देता है!!
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छुट्टी कै लाने आबेदन पत्र……
सेवा मे..
श्रीमान मास्साब..
माध्मिक पाठशाला बुंदेलखंड
माहानुभव,
तो मस्साब ऐसो है कि दो दिना से चड़ रओ है जो बुखार और उपर से जा नाक बह रई सो अलग || जई के मारे हम सकूल नई आ पाहे सो तमाए पाऊ पर के निवेदन आए कि दो-चार दिना की छुट्टी दे देते, तो बडो अछछो रहतो और अगर हम नई आये तो कोन सो तमाओ सकूल बंद हो जै |||||||
तुमाओ
आग्याकारी शिष्य,
“कलुआ”
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टीचर छात्र से:
आयात और निर्यात का एक अच्छा सा उदाहरण बताओ.
छात्र:
सोनिया गांधी और सानिया मिर्ज़ा..
टीचर:
तुम्हारे चरण कहाँ हैं बेटा ।
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गाँव के एक विद्यालय से….
अध्यापक: 15th अगस्त को हमे क्या मिली थी ?
छात्र: माड़साहब….”नुक्ति”
……….
अगर सही जवाब आपको भी नह पता,
तो मैं बताता हूँ!
– आज़ादी
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छात्र (भगवान से):
हज़ारो की किस्मत तेरे हाथ है,
अगर पास करदे तो क्या बात है!
परीक्षा के बाद …
भगवान:
गर्लफ्रेंड थोड़ी कम पटाता तो क्या बात थी,
किताबे तो सारी तेरे पास थी 😀
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अध्यापक : बच्चों, रामचंद्र ने समुन्द्र पर पुल बनाने का निर्णय लिया ।
पप्पू : सर मैं कुछ कहना चाहता हूँ।
अध्यापक : कहो बेटा ।
पप्पू : रामचन्द्र का पुल बनाने का निर्णय गलत था ।
अध्यापक : वो कैसे ?
पप्पू : सर उनके पास हनुमान थे जो उड़कर लंका जा सकते थे । तो उनको पुल बनाने की कोई जरुरत ही नही थी ।
अध्यापक : हनुमान ही तो उड़ना जानते थे बाकि रीछ और वानर तो नही उड़ते थे ।
पप्पू : सर वो हनुमान की पीठ पर बैठकर जा सकते थे । जब हनुमान पूरा द्रोणागिरी पहाड़ उठाकर ले जा सकते थे, तो वानर सेना को भी तो उठाकर ले जा सकते थे ।
अध्यापक : भगवान की लीला पर सवाल नही उठाया करते नालायक।
पप्पू : वैसे सर एक उपाय और था।
अध्यापक : (गुस्से में) ..क्या ?
पप्पू : सर हनुमान अपने आकार को कितना भी छोटा बड़ा कर सकते थे, जैसे सुरसा के मुँह से निकलने के लिए छोटे हो गए थे और सूर्य को मुँह में देते समय सूर्य से भी बड़े.. तो वो अपने आकार को भी तो समुन्द्र की चौड़ाई से बड़ा कर सकते थे और समुन्द्र के ऊपर लेट जाते । सारे बंदर हनुमान जी की पीठ से गुजरकर लंका पहुँच जाते और रामचंद्र को भी समुन्द्र की अनुनय विनय करने की जरुरत नही पड़ती ।
वैसे सर एक बात और पूछूँ ?
अध्यापक : पूछो ।
पप्पू : सर सुना है । समुन्द्र पर पुल बनाते समय वानरों ने पत्थर पर “राम” नाम लिखा था.. जिससे वो पत्थर पानी पर तैरने लगे थे ।
अध्यापक : हाँ तो ये सही है ।
पप्पू : सर सवाल ये है, बन्दर भालुओं को पढ़ना लिखना किसने सिखाया था ?
अध्यापक : हरामखोर पाखंडी, बंद कर अपनी बकवास और मुर्गा बन जा ।
पप्पू : सर सदियोंसे हम सब मूर्ख बनते आ रहे हैं.. चलो आज मुर्गा बन जाता हूँ..!!
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